राकेश कुमार समाजसेवी खटीमा | Rakesh Kumar Social Worker Khatima

देव भूमि उत्तराखण्ड प्रदेश के अति सीमान्त खटीमा जनपद की ग्राम सभा मुंडेली, तहसील खटीमा में जन्म हुआ। हरिजन पुत्र होने के नाते राष्ट्रीयता, सेवा भाव एवं देशभक्तिको ही धर्म के रूप में अपनाया। आर्थिक आभाव में जीवन यापन कर सरकारी स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। दो बहनों के पश्चात अकेला पुत्र होने के नाते परिवार के प्रति जिम्मेदारियाॅ हमेशा बनी रहती है।
           
 जो अपने पिता श्री मल्लू प्रसाद की समाजसेवा की भावना से प्रेरित होकर जरुरतमंदों की सेवा में जुटे हुए हैं। आपका उद्देश्य है कि जितना हो सके अधिक से अधिक जरुरतमंद लोगों की सेवा की जाए तथा समाज को बेहतर बनाया जाए। दरअसल बचपन से ही आपने अपने पिता श्री मल्लू प्रसाद द्वारा की जा रही समाजसेवा के कार्यों को नजदीक से देखा-समझा। अब पिता के द्वारा दिखाई राह पर आगे बढ़ते हुए आप अपने दैनिक जीवन का ज्यादातर समय समासजेवा में बिता रहे हैं। बेहद सरल और भद्र व्यवहार के लिए उत्तराखण्ड के लोगों में लोकप्रिय राकेश कुमार जी ने खटीमा इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की है। वो बताते हैं कि ‘जब उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद साइबर कैफे में काम करना शुरू किया तो देखा कि मौजूदा समय में आम लोग महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसी भयंकर समस्याओं से जूझ रहे हैं। जिन नेताओं को जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है, जो अफसर लोगों के हित में फैसले लेने हेतु नियुक्त होते हैं वही नेता और अफसर आपसी सांठ-गांठ कर जनता के पैसों को लूट खा रहे हैं। कुल मिलाकर आम लोगों के अधिकार सरेआम छीने जा रहे हैं। फिर समाज के आम लोगों से उनके लगाव और पिता से प्राप्त समाजसेवा की सीख की वजह से वो पूरी तरह से समाजसेवा हेतु समर्पित होते चले गए। उनको पता भी नहीं चला कि कब वो शोषित और दबे-कुचले लोगों की आवाज बनकर उभर गए’।आपका मानना है कि किसी भी देश-प्रदेश या जिले की तरक्की तब तक नहीं हो सकती जब तक कि वहां के पिछड़े तबके के लोगों का जीवन स्तर न सुधारा जाए। शहर में चौंड़ी सड़कें और ऊंची-ऊंची इमारतें बनना अच्छी बात है लेकिन शहर के गरीब लोगों और उनकी जररूतों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। अगर गरीब होने की वजह से किसी की रोटी-कपड़ा-मकान जैसी मूलभूत आवश्यकता नहीं पूरी हो पा रही है तो उस देश-प्रदेश या जिले की तमाम तरक्कियों का कोई मतलब नहीं है। इसीलिए आज आप समाज के पिछड़े व शोषित वर्ग के लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने तथा उनका हक दिलाने की हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं। आज आलम यह है कि कोई आपको अपने दुख के समय में याद कर लेता है तो आप अगले ही पल बिना किसी झाम-ताम के उसके यहां पहुंच जाते हैं। फिर आवश्यकतानुसार धन, वचन और कर्म से उस जरूरतमंद की मदद करते हैं।

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